हमने आपको जो 20 छोटी सी कबिता दी हे वो आपको किसी किताब मे नही मिलेगी आगर आप एक बिल्कुल नया छोटी सी कबिता ढूंढ रहें हें तो ए कबिता आपके लिए गोल्डन चॉइस होगा
छोटी सी कविता हिंदी में
1. चिड़िया का गीत
हरी डाल पर बैठी चिड़िया, गाने लगी प्यारा गीत।
मीठी तानों में रस घोले, जैसे छेड़े कोई वीण।
सूरज हँसकर सुनने आया, हवा चली मधुर संगीत।
खुश होकर फिर उड़ी गगन में, सपनों की लेकर वो रीत।
नीले नभ में पंख पसारे, उड़ती जाए बेपरवाह।
संग में लाए नयी उमंगें, मन में हो हरदम उत्साह।
बच्चे भी संग खेल रहे हैं, उसके गीतों में खो जाते।
जैसे कोई प्यारा सपना, दिल के कोने में बस जाते।

2. नदी की बातें
कल-कल बहती निर्मल धारा, मन में भरती नई उमंग।
पत्थर से टकराकर चलती, गूँज उठे मधुरित संग।
चाँदनी जब इसे नहाए, झिलमिल करती उसकी लहर।
अपने संग हर दुख बहाकर, देती सबको नवल सहर।
सूरज की किरणें जब चमके, सोने सा वो रूप दिखाए।
ठंडी-ठंडी हवा संग उसकी, मीठे सपनों को सहलाए।
राह दिखाए आगे बढ़ने की, हर मुश्किल से लड़ना सिखाए।
जो भी इसमें डूब नहाए, नई ऊर्जा लेकर जाए।

3. बचपन की यादें
कागज़ की वो नाव पुरानी, बारिश में जब तैरा करती।
बिन चिंता, बिन कोई डर के, हँसती, गाती, दौड़ा करती।
माँ की गोदी, शाम की बातें, चाँद सितारे संग में रहते।
फिर से वो पल लौट आएं, ऐसे सपने आँखें बुनते।
गुड़िया के संग खेल जो खेले, अब भी मन में गूँज रहे।
दादी-नानी की वो बातें, अब भी सपनों में बस रही।
खेतों में जब भागा करते, तितली के संग खेला करते।
काश वही दिन लौट के आते, फिर से हम बच्चे बन जाते।

4. तारे मुस्काते हैं
रात घिरी जब चुपके-चुपके, तारे धीरे मुस्काते हैं।
नीले नभ की चादर ओढ़े, चाँदनी संग जगमगाते हैं।
कभी छुपें वो बादलों में, कभी दिखाएँ अपनी शान।
जैसे कोई चुपके से कह दे, रखो हमेशा दिल की जान।
झील के पानी में जब झलके, मोती जैसे चमक उठे।
शांत रात की गोद में जैसे, मीठे सपने भर उठे।
देख उन्हें जो माँग ले मन्नत, शायद पूरी हो जाए।
तारों का संग जब पास हो, हर रात सुहानी बन जाए।

5. खुशबू आई बागों से
खुशबू आई बागों से, महक उठे सब रास्ते।
हवा चली जब धीरे-धीरे, झूले पेड़ों की डालियाँ।
फूल खिले जब रंग-बिरंगे, भौंरे गाएँ मीठे गीत।
कोयल बोले कुहू-कुहू, सावन आया लहर लिए।
बच्चे भी संग दौड़ रहे, फूलों की खुशबू में खो जाएं।
हरियाली का यह नजारा, सबके मन को बहकाए।
सूरज की किरणें जब पड़तीं, सोने जैसा चमक उठतीं।
मन को ठंडी छाँव मिले, जब बागों में बयार बहे।
6. छोटी-सी नदिया
छोटी-सी इक नदिया बहती, दूर कहीं गुम हो जाती।
संग-संग उसके मछली नाचे, पवन संग वो गुनगुनाती।
सूरज की किरणें जब चमके, सोने सी लहरें बन जाती।
चुपके से वो कान में बोले, चलो नई राहें अपनाती।
कंकड़-पत्थर भी राह बनाते, वो फिर भी आगे बढ़ती।
चाहे आए आँधियाँ-तूफाँ, फिर भी अपनी धारा मोड़े नहीं।
जो भी इसमें हाथ डुबाए, उसकी थकान दूर हो जाए।
कभी बने वो सागर की साथी, कभी धरती को हरियाए।
7. पंछी का सपना
छोटे पंखों में आसमाँ, पंछी के सपने बड़े।
उड़ता जाए दूर क्षितिज तक, ले जाए मन में कई कड़े।
कोई न रोके, कोई न टोके, बस उड़ता जाए संग हवा।
खुली हो दुनिया, खुला हो जीवन, हर पल गाए नई दुआ।
ऊँचाई तक जाने की चाहत, उसके मन में हरदम रहती।
नीले गगन में पंख पसारे, सूरज संग हौसले बहते।
राह कठिन हो चाहे जितनी, फिर भी न पीछे हटे।
पंखों में हो गर जज़्बा, हर सपना साकार बने।
8. पेड़ की छाँव
पेड़ की छाँव तले बसा था, इक बचपन का प्यारा गाँव।
जहाँ अमरूदों की डालियों से, झूलते थे हँसी के गान।
कोयल गाती, बगिया महकती, लहराता था खेतों का मान।
अब भी जब मैं लौट के देखूँ, यादें करती मुझसे बातें।
पेड़ के नीचे बैठे-बैठे, कितनी कहानियाँ सुनी थीं।
धूप से लड़ती उसकी छाया, हर दिन ठंडक देती थी।
आम की डाली पर जो झूला, वो भी अब याद आता है।
बचपन की मीठी उन गलियों में, मन फिर जाने को चाहता है।
9. भोर का सूरज
भोर का सूरज धीरे आया, संग में किरणें स्वर्णिम लाया।
फूल खिले जब बागों में, मोर नाचा खुश हो कर।
हरियाली की चादर ओढ़े, धरती का हर रंग निराला।
नया सवेरा, नई कहानी, हर दिन सुंदर, हर दिन न्यारा।
चिड़िया गाने लगी मधुर, पवन चली खुशबू बिखेर।
सुनहरी धूप की पहली बूँदें, पत्तों पर मोती जैसी चमकें।
रात का अंधेरा दूर हुआ, आशा का दीप जल उठा।
सूरज की पहली मुस्कान, जीवन में नई ऊर्जा भरता।
10. झरने की बूँदें
पत्थरों से जब टकराकर, झरना गाए मीठे गीत।
ठंडी-ठंडी बूँदें उसकी, भर दे मन में नई प्रीत।
धूप की किरनें जब पड़ती, मोती जैसे चमक उठतीं।
आओ मिलकर इसे निहारें, प्रकृति की यह अनुपम मूरत।
चंचल धारा आगे बढ़ती, कभी रुके ना, कभी झुके ना।
हर पत्थर से राह बनाए, कभी गिरे तो फिर सँभल जाए।
झरने का यह संगम देखो, सीख हमें हरदम सिखाए।
चलते जाओ, बढ़ते जाओ, हर मुश्किल को पीछे छोड़ो।
11. कोयल की पुकार
टहनी पर बैठी कोयल गाए, मीठे-मीठे मधुर तराने।
हरी-भरी इन शाखाओं में, खुशबू बिखरे फूल सुहाने।
गर्मी में जब प्यास लगे तो, बरखा का संदेश सुनाए।
आओ सुन लो इसकी बोली, हर दिल को ये खुशी दिलाए।
सावन की जब बूंदें गिरतीं, कोयल गाती और खिलती।
कभी छुपे वो पत्तों में, कभी खुले नभ में उड़ती।
उसकी तानें प्रेम जगाएँ, मन को हरदम भाएँ।
जो भी सुने इसका गीत, उसके सपने फिर मुस्काएँ।
12. सतरंगी सपने
सपनों में इक नाव चली थी, सतरंगी रंगों में रंगी।
नीले नभ से नीचे उतरी, तारों की झिलमिल थी बसी।
हवा चली जब धीरे-धीरे, लहरों ने उसका संग दिया।
खुशियों से वो लद गई थी, मीठी यादों को बुन लिया।
हर रंग उसमें कुछ कहता था, आशाओं की छवि बनाता था।
नीला गगन, हरा समंदर, सब मिलकर सुंदर गीत गाता था।
सपनों की यह दुनिया न्यारी, जिसमें बस प्यार की धारा बहती।
हर दिल में बसते हैं सपने, कभी अधूरे, कभी सजे-संवरे।
13. दीपक की लौ
अंधियारे में जलता दीपक, आशा का संदेशा लाया।
संध्या घिरी जब शांत धरा पर, उसने तम को दूर भगाया।
छोटी लौ में शक्ति कितनी, दीपक ने सबको दिखलाया।
हर मुश्किल में, हर तुफ़ानों में, उसने साहस न गँवाया।
जलता जाए, बुझ न पाए, ऐसा संकल्प सिखलाए।
जो खुद जलकर राह दिखाए, वही असली दीप कहलाए।
हर अंधकार में रोशनी बनकर, जीवन में नई आस जगाए।
चलो हम भी दीप जलाएँ, अपने सपनों को साकार बनाएँ।
14. बादल की सवारी
बादल ऊपर उड़ते जाते, संग में लाए बूँदें प्यारी।
कभी झूमें, कभी बरसें, कभी करें वो शैतानी सारी।
गर्मी में जब धूप सताए, तब शीतल छाँव ये बरसाए।
खेलें हम भी साथ में इनके, बूँदों के संग गीत सुनाए।
कभी किसी के मन को भाएँ, कभी बिजली संग गरजें।
पहाड़ों से टकरा जाएं, झरनों में मिलकर बह जाएं।
फूलों को जीवन देते जाएं, धरती को हरियाली लाएँ।
ऐसे प्यारे बादल आएं, जीवन में संगीत जगाएँ।
15. खेतों की हरियाली
खेतों में जब धूप चमकती, गेहूँ की बालियाँ लहराती।
सरसों पीली हँसी बिखेरे, खेतों में हरियाली छाए।
मिट्टी की खुशबू जब आए, मन को छूकर गीत सुनाए।
गाँव की मिट्टी, सोंधी खुशबू, जीवन को नवल बनाए।
हल चलाता किसान जब देखे, खेतों में मेहनत का नूर।
उसकी आँखों में बसती रोशनी, जैसे कोई स्वर्णिम सूरज।
रोटी की हर एक कण में, मेहनत की सुगंध बस जाए।
खेतों की यह हरियाली, धरती का सबसे प्यारा गीत।
16. तितली की उड़ान
रंग-बिरंगी तितली आई, बागों में फिर दौड़ लगाई।
फूलों के संग खेल रही थी, पंखों में खुशबू समाई।
उड़ते-उड़ते थक जब जाती, फूलों पर फिर बैठती।
कोई न रोके, कोई न टोके, सपनों की दुनिया में खो जाती।
हर रंग उसका नया नज़ारा, हर उड़ान उसका नया इशारा।
फूलों से कहती धीरे-धीरे, दुनिया कितनी सुंदर प्यारी।
खुशबू संग उड़ते रहना, रंगों में रस घोलते रहना।
तितली की दुनिया छोटी सही, पर हर पल में आनंद भरा।
17. झील का पानी
शांत-सुंदर झील का पानी, जैसे कोई सपनों की रानी।
चाँद सितारे झिलमिल करते, लहरों संग मिलते-मिलते।
नाव चली जब धीरे-धीरे, सपनों के जैसे रंग खिले।
शांत झील की हलचल प्यारी, मन को हरदम शीतल डाले।
पंछी जब उसमें नहाने आते, मोती जैसे मोर नचाते।
नीले गगन के अक्स बनाते, झील में बिखरते नए नज़ारे।
जो भी देखे यह सुंदरता, मन उसका हल्का हो जाए।
शांत लहरें कानों में बोले, जीवन हरदम बहता जाए।
18. बसंत की बहार
बसंत आई, रंग सजाए, फूल खिले और कोयल गाए।
हर डाली पर कली मुस्काए, भंवरे गाते राग सुहाए।
पीले रंग से खेत नहाए, हवा भी मीठी गीत सुनाए।
खुशबू बिखरी, खुशियाँ आईं, बसंत की ये मधुर फिजाएँ।
पेड़ों पर नई कोपल फूटें, हर ओर दिखे बस हरियाली।
सर्दी की ठिठुरन अब गई, मौसम लाया मधुर उजियाली।
बसंत का यह सुंदर नज़ारा, दिलों में प्रेम का दीप जलाए।
हर मन में उल्लास जगाए, जैसे कोई नया गीत गाए।
19. शरारती हवा
धीरे-धीरे चलने वाली, ये शरारती पवन सुहानी।
कभी चूमे फूलों की कलियाँ, कभी उड़ाए पत्तों की धूल।
कभी हमारे बालों में उलझे, कभी बजाए मस्त बांसुरी।
हवा की ये बातें न्यारी, हर मौसम को करती प्यारी।
20. माँ का आँचल
माँ का आँचल छाँव घनेरी, हर दुःख में सुख की छवि बसे।
सर्दी, धूप, या फिर बारिश, हर मुश्किल में ढाल बने।
मीठे बोल, प्यार की फुहारें, उसकी ममता सबसे न्यारी।
माँ के बिना ये जीवन सूना, जैसे नभ हो तारों बिन प्यारा।