चूहे राजा की सैर
चूहे राजा निकले बाहर,
पहन के कोट, लगाए हार।
पैरों में चमचम जूते थे,
चमका उनका रूप-सिंगार।
बिल्ली मैया आई दौड़,
बोली – “कहाँ चले हो छोड़?”
चूहा राजा घबराए,
भागे झटपट छोड़ के रोड।
मेंढक जी की छ
तरीमेंढक जी थे बड़े सुस्ताए,
बारिश आई, खूब मुस्काए।
काग़ज़ की छतरी बना डाली,
पर पानी ने कर दी हल्की!
मोटू भालू की दुकान
मोटू भालू खोले दुकान,
बेचे रसगुल्ले, मीठा पान।
खरगोश आया, खा गया चार,
बोला- “लाओ और दो यार!”
तोता बोला राम राम
तोता बैठा पिंजरे में,
बोल रहा था नाम-नाम।
चिड़िया बोली – “क्यों रे पगले?”
तोता बोला – “राम राम!”
बादल राजा बरस पड़े
बादल राजा आए धूम,
काले-काले, छूमाछूम।
बिजली चमकी, गिरा वो पानी,
भीग गई दुनिया सारी जानी।
गुब्बारे वाला आया
गुब्बारे वाला आया रे,
रंग-बिरंगे लाया रे।
लाल, नीले, पीले देखो,
बच्चे सब मुस्काए रे।
कछुए की होशियारी
धीरे-धीरे चलता जाता,
फिर भी रेस में जीत ही पाता।
खरगोश सोता, ये बढ़ता जाता,
संयम से आगे कदम बढ़ाता।
चींटी की मेहनत
छोटी-सी चींटी दौड़ लगाती,
टुकड़ा ले, फिर घर ले जाती।
मेहनत उसकी रंग है लाती,
सर्दी में वो मौज मनाती!
खरगोश की मस्ती
खरगोश उछले झटपट-झटपट,
चिंटू बोला – “रुक ज़रा हट!”
कहा – “तू बस भागे जाता,
कभी तो आ, दोस्ती निभा!”
नदी का पानी
नदी का पानी बहता जाए,
झर-झर झरने गाए गाए।
मछली तैरे, नाव चले,
बच्चे उसमें पैर धरे।
चतुर खरगोश
नन्हा खरगोश, बहुत चतुर,
दौड़े जंगल में बेफिकर।
गाजर लेकर भागा तेज,
चिड़िया बोली – “बिलकुल न टेढ़!”
झाड़ी के पीछे जा छिपा,
लोमड़ी आई, पर नहीं मिला।
चालाकी से बच निकला वो,
फिर जाकर मां के पास हिला।
प्यारी नदिया
बहती नदिया गाए गाना,
छू ले सागर का भी थाना।
कल-कल करती मस्त बहार,
नदिया संग चले मझधार।
मछली नाचे, काग गुनगुनाए,
नाविक भी गीत सुनाए।
बच्चे उसके किनारे खेलें,
लहरों संग सपने बेलें।
नीला आसमान
ऊपर देखो, आसमान,
नीला-नीला कितना महान!
सूरज चमके, बादल आए,
पंछी पंख फैलाकर जाए।
तारों की टोली रात को आए,
चंदा संग बातें ये कर जाएं।
कभी लगे यह नीला समंदर,
जिसमें तैरें सफेद-से बादल।
बब्बू हाथी
बब्बू हाथी भारी भरकम,
नदी किनारे खेले हरदम।
पानी में वह नहाने आया,
छपाक! सभी को खूब भिगाया।
सूंड उठाकर शोर मचाए,
दोस्तों को खूब सताए।
खेलते-खेलते थककर सोया,
बब्बू ने सपना मीठा बोया।
नटखट तोता
हरे पंख और लाल चोंच,
मीठी बोली, थोड़ा खोज।
नानी से वह बातें करे,
सबको हंसाए, मौज करे।
खिड़की पर आकर वह गाए,
बच्चों संग हंसी उड़ाए।
“मिठाई दो!” कहकर बोले,
कभी उड़े तो कभी डोले।

गोल-गोल रसगुल्ला
गोल-गोल रसगुल्ला आया,
मीठी चाशनी संग नहाया।
बच्चे बोले – “मिलकर खाए!”,
मुंह में जाते ही घुल जाए।
दादी बोली – “थोड़ा बचा लो!”,
पर सब बोले – “इसे चबा लो!”
रस में भीगा, मुँह में घुला,
वाह! मजा आ गया पूरा!
नदी का पानी
नदी का पानी बहता जाए,
पत्थर चट्टानों से टकराए।
मछली खेले, काग उड़ाए,
झरना गाए, मन ललचाए।
बच्चे इसमें पैर डुबाएँ,
नाव चलाएँ, मस्ती पाएँ।
सूरज भी इसमें चमक दिखाए,
चाँदनी इसमें चुपके आए।
भौं-भौं कुत्ता
काले-भूरे, सफेद कुत्ते,
इधर-उधर वे दौड़े फुर्ती।
रखवाली में चौकस रहते,
दोस्त बने तो सदा सहेते।
रोटी देख खुश हो जाए,
अपनी पूँछ हिला-हिलाए।
घर का पहरा सख़्त निभाए,
खतरा आते ही जोर भौंकाए!
टप्पू की पतंग
टप्पू की पतंग उड़ी,
आसमान को छूने चली।
ऊपर-ऊपर, और ऊंची,
हवा संग वो खूब उड़ी।
रंग-बिरंगे धागे बांधे,
टप्पू ने फिर जोर से खींचे।
बादल बोले – “इसे पकड़ो!”
पर पतंग तो और चढ़ गई!
गेंद का खेल
गेंद उछली धप्पा धप्प,
कभी ज़मीन, कभी गिरी टप्प।
बच्चे बोले – “पकड़ो इसे!”,
खेल चले फिर जोश से।
गली में दौड़ी, पार्क में भागी,
कभी छत पर, कभी घर के आगे।
मम्मी बोली – “अब अंदर आओ!”,
बच्चे बोले – “बस, एक बार और!”
नन्हा मोर नाचा
बादल गरजा, बिजली चमकी,
नन्हा मोर खुशी में नाचा।
पंख फैलाए, झूम रहा था,
मौसम प्यारा खूब भाया।
भालू का झूला
भालू बैठा पेड़ की डाली,
झूल रहा था कर के सवारी।
पेड़ हिला तो गिरा ज़मीन,
बोला- “अब ना झूलूंगा मैं दीन!”
तारों की टोली
आसमान में चमक रहे तारे,
टिम-टिम करके खेलें सारे।
चंदा मामा देख रहे थे,
बच्चों संग वो हंस रहे थे।
बंदर का उधम
बंदर उछले धूम-धड़ाका,
पकड़ा केले का एक झटका।
खाया, नाचा, फिर से कूदा,
बंदर राजा खूब ही ऊदा!
पेड़ की छाया
गर्म धूप में पेड़ का साया,
सबको उसने चैन दिलाया।
चिड़िया बैठी, हवा भी आई,
प्यारी छाँव में नींद सुहाई।
गेंद कहाँ गई?
छोटू ने मारी एक ज़ोर की,
गेंद जा गिरी झाड़ियों की।
ढूंढे सब पर कहीं न पाई,
बिल्ली बोली – “ये रही भाई!”
27. रंग-बिरंगी तितली
बाग़ में तितली उड़ी रंगीली,
फूलों पर वो बैठी नशीली।
लाल-पीली, नीली-सुनहरी,
नन्ही परी-सी सबसे प्यारी!
गाय की ममता
गाय रंभाए, दूध वो दे,
प्यारी ममता, सुख सब ले।
बछड़ा उसका खूब ही चहेता,
गाय का दूध सबसे अमृत सा।
नन्हीं चींटी चली चली
नन्हीं चींटी चली चली,
रोटी का टुकड़ा ले चली।
ऊपर नीचे, टेढ़े मेढ़े,
सीख मिली मेहनत की बढ़े!
गुड़िया की शादी
गुड़िया रानी ब्याहने चली,
सजधज कर वो निकली भली।
दोस्तों ने नाच दिखाया,
खेल-खिलौनों संग मेला लगाया।
नन्हीं गौरैया
नन्हीं गौरैया फुदक रही,
आंगन-आंगन उड़क रही।
बीज उठाए, चोंच में भर,
बैठ गई वो दीवार पर।
गूं-गूं गाकर मस्ती छाई,
मम्मी बोली – “देखो भाई!”
चिड़िया बोली – “खाना लाओ!”,
नन्हा बच्चा हंसकर गाओ।
हाथी दादा की सवारी
हाथी दादा जंगल के राजा,
लंबी सूंड, बड़ी है काया।
बच्चे बैठे पीठ पे झट,
झूले जैसे कोई पलट।
सीटी बजाई, आगे बढ़े,
बंदर-भालू भी संग जुड़ें।
पानी छिड़का, मस्ती आई,
हाथी की सवारी सबको भायी।
तितली रानी
रंग-बिरंगी तितली रानी,
फूलों पर करती शैतानी।
लाल-पीली, नीली-सुनहरी,
लगती जैसे हो इक परी।
बाग में उड़ती, मस्त नाचती,
हवा संग झूले, खूब इतराती।
बच्चे बोले – “रुको ज़रा!”,
वो हंसकर बोली – “नहीं भला!”
आलू कचालू
आलू बोला – “मुझे पकाओ!”
गाजर बोली – “नहीं, हट जाओ!”
बैंगन आया बीच में कूदा,
मटर बोली – “मज़ा ही दूजा!”
टमाटर ने रस फैला दिया,
धनिया ने रंग जमा दिया।
बच्चे बोले – “सब मिल जाओ!”,
सूप में जाकर स्वाद बढ़ाओ।
बादल आया
बादल आया धूम मचाने,
गड़गड़ करके भागे पाने।
बिजली चमकी, बूँदें गिरी,
धरती बोली – “अब निखरी!”
मेंढक बोला – “मैं तो आया!”,
कोयल गाए, मोर लहराया।
खेतों में हरियाली आई,
बच्चों ने कागज की नाव चलाई।
गुब्बारों की टोली
लाल, नीला, हरा, गुलाबी,
गुब्बारे देख मन हो खुशहाल।
ऊपर-ऊपर उड़ते जाएं,
हवा संग मिल हंसते जाएं।
बच्चों ने रस्सी पकड़ रखी,
गुब्बारे बोले – “छोड़ो ज़रा सही!”
हवा चली तो ऊपर भागे,
नीले आसमान में खो गए आगे।
कोयल की कूक
कोयल आई गाना गाने,
बगिया में रंग जमाने।
मीठी बोली, सुर में गाई,
पेड़-पेड़ पर उड़कर छाई।
बच्चे बोले – “फिर से गाओ!”,
कोयल बोली – “मीठा लाओ!”
आम के पेड़ पे झूला झूले,
फिर से एक नया गीत बोले।
चूहा राजा
चूहा राजा दौड़े भागे,
रोटी देख ज़रा ललचाए।
बिल्ली मौसी आई पीछे,
भागा जल्दी चुपके-चुपके।
बिल में जाकर बैठ गया,
बाहर बिल्ली देखे खड़ा।
चूहे ने फिर पलक झपकाई,
सोचा – “अब बची जान भाई!”
केला खाया बंदर ने
बंदर बैठा डाल पर,
खोल रहा था एक केले का घर।
छिलका उतारा, मज़े से खाया,
बिल्ली आई, नजरें गड़ाया।
बंदर बोला – “यह मेरा है!”
बिल्ली हंसी – “तू शेर है?”
फिर दोनों ने दोस्ती कर ली,
आधा-आधा मिलकर खा ली।
गिलहरी की दौड़
गिलहरी दौड़ी सरपट-सरपट,
लगी पकड़ने एक बड़ी पगडंडी।
पेड़ पर चढ़ी, नीचे आई,
फिर झूले से खूब उछलाई।
बच्चे बोले – “पकड़ न पाए!”,
गिलहरी हंसी – “हिम्मत लाए?”
तेजी से फिर भाग गई,
सबको अपनी चाल सिखा गई।
सूरज निकला
सूरज निकला चमक दिखाने,
पंछी बोले – “चलो उड़ाने!”
फूल खिले, मस्त हवा चली,
नदी ने पानी से बात कर ली।
धरती बोली – “धूप खिलाओ!”,
सूरज बोला – “प्यार बढ़ाओ!”
सुनकर बच्चे खेले हंसकर,
नई किरण संग आगे बढ़कर।
चंदा मामा
चंदा मामा गोल-मटोल,
बच्चे बोले – “खिलाओ बोल!”
रात को चमके, दिन में छुप जाए,
तारों संग हर रात मुस्काए।
आसमान का राजा कहलाए,
बादलों के संग छुप जाए।
सपनों में मीठे खेल खिलाए,
बच्चों को सोने को मनाए।
झरने की मस्ती
झरना गाए छल-छल धारा,
कभी तेज, कभी हो प्यारा।
पानी ऊपर से नीचे बहाए,
हरियाली संग नई लहराए।
बच्चे उसमें खूब नहाए,
मस्ती में मीठे गीत गाए।
चिड़िया आकर पानी पी ले,
मछली भी उसमें जी ले।
मोटू हाथी
मोटू हाथी भारी भरकम,
चलते-चलते हांफे हरदम।
जंगल में राजा कहलाया,
बंदर-भालू भी डर खाया।
पर जब नाचे, झूमे गाए,
सबको अपनी मस्ती भाए।
पेड़ के नीचे बैठ मुस्काए,
सबको अपनी दया दिखाए।
पेड़ की छाया
गर्म धूप में पेड़ का साया,
सबको उसने चैन दिलाया।
चिड़िया बैठी, हवा भी आई,
प्यारी छाँव में नींद सुहाई।
बूढ़े बाबा वहां सुस्ताए,
बच्चे खेलें, खुश हो जाए।
पेड़ बोला – “मुझसे प्यार करो!”,
धरती को हरा-भरा रखो।